"भारतीय राजनीति में महात्मा गांधी"
भारतीय राजनीति में महात्मा गांधी ने प्रवेश किया,
सन् 1916 लखनऊ में कांग्रेस अधिवेशन में भाग लिया।
भारत देश के इतिहास ने तभी से नया मोड़ दिया,
देश के अंदर व्यापक जागृति लोगों के भीतर आई।।
चंपारण में नीले ह गोरों के अत्याचार के विरुद्ध,
सत्याग्रह में महात्मा गांधी ने भारी सफलता पाई!
अमृतसर में सन 1919 में गांधी जी ने फिर भाग लिया,
लखनऊ में कांग्रेस अधिवेशन 1916 में साथ दिया।।
जालियांवाला बाग अप्रैल 1954 नई में अंग्रेजों ने,
सैकड़ों भारतीयों को अपनी गोलियों से भून दिया।
विरोध और विच्छोभ की देश में लहर दौड़ गई,
असंतोष बताते हुए गांधी जी ने सहयोगी यों के साथ संघर्ष किया।।
जालियांवाला बाग की घटना के खिलाफ देश हुआ,
लोकमान्य तिलक देशबंधु चितरंजन दास के गांधीजी साथ।
देश का वातावरण सन 1920 में और भी गरमाया,
महात्मा ने असहयोग आंदोलन का शंखनाद बजाया।।
स्वदेशी आंदोलन के क्रम में देश ने गांधी को स्वीकारा,
असहयोग आंदोलन का हिंदी छेत्र पर बहुत प्रभाव डाला।
विदेशी वस्तुओं का भारतीय लोगों ने बहिष्कार किया,
सरकारी नौकरी मान पद और प्रतिष्ठा का भी त्याग किया।।
अंग्रेजी स्कूल कॉलेज और अदालतों को भी सब ने छोड़ा,
स्वदेशी भाषाओं की शिक्षा प्रणालियों का विकास किया।
झगड़ा झंझट निपटाने के लिए गांव शहर में पंचायत कायम किया,
प्रचार प्रसार के लिए हिंदी में पत्र-पत्रिकाओं का प्रकाशन शुरू हुआ।।
इसी काल में बेतार के तार भेजने की व्यवस्था किया गया,
समाचार एजेंसियों की स्थापना और समाचार पत्रों का विकास हुआ।
भारतीय राजनीति में जब से गांधी जी ने भारत में मुहिम चलाया,
देश विदेश ने चारों तरफ अंग्रेजों के खिलाफ आवाज उठाता।।
- सुख मंगल सिंह
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