Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

भवसागर

 

भवसागर

तू अपना हाथ लगा ले तो संवर जाऊंगा,

गिला गिला वदन एक सांचे में ढल जाऊंगा।
तेरा हाथ हो सर पर तो छू लूं में बुलंदियां,
 सूरज बनकर दुनियां में प्रकाश फैला लूंगा।
अरे तेरे चेहरे पर दिखती भीगी भीगी रंगत,
तेरी एक नजर से मेरी जिंदगी निखर जाएगी।
 मैं ने सौंप दिया अपना मुकद्दर तेरे हाथों में,
खेवनहार! पतवार दो भव पार उतर जाएंगे।
- सुख मंगल सिंह

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ