यह शहर ही बड़ा मतवाला,
यहां रहते बनियां औ लाला।
उनकी हिम्मत में नहीं काला,
कहते शिव भांग धतूरा वाला।।
अपने ही मन का चलने वाला,
भैंसों का झुण्ड विचरने वाला।
मन मानी मॉडल दिखाने वाला,
कहते हैं शिव भांग धतूरा वाला।।
जो आए अतिथि को लूटने वाले,
जहां पंडा गिरी के कमाने वाले।
लंगोट - लोटा लेकर चलने वाले,
शिव को भांग धतूरा कहने वाले।।
गिरधारी की माला जपने वाले,
शिव मंदिर में जल चढ़ाने वाले।
खुद से बड़ा आशीष देने वाले,
शिव शंकर भांग धतूरा वाले।।
गंगा नाम पर कमाई करने वाले,
दुहाई दुहाई दूहाई कहने वाले।
ठग विद्या से लड़ाई करने वाले,
कहते भोले को भांग धतूरा वाले।।
आदि काल भैरव पर पलने वाले,
आदिकाल से शिव यहां बसने से।
काशी नगरी उत्साही रहने वाले,
भोले बाबा है भांग धतूरा वाले।।
- सुख मंगल सिंह
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