शरद पूर्णिमा की रात
औषधीय गुणों की खान लिए, शरद पूर्णिमा धरती पर छायेगी।
खीर पकाकर गृह लक्ष्मी अपनी-अपनी छत पर रखनें जायेंगी।।
मनमोहक शीतल वायु ,मंद - मंद धवल गिरि से खुश करने आएगी।
धवल दुग्ध सी चांदनी, नभ - धरा पे अवतरित हो स्नान कराएगी।।
कृष्ण राधिका, गोपियां संग में आज की रात रास लीला रचाएंगी,
कृष्ण कला, बांसुरी की धुन, गोपियों का नृत्य सुधि बुध भूल जाएंगी।।
महारास का प्रकाश, चारों दिशाओं में दिव्य योग साधना कराएंगी,
इसी दिन महालक्ष्मी साला शंख, संग
समंदर मंथन से प्रकट हुईं।।
आज 16 कलाओं के परिपूर्ण चांद से अमृत काल कहलाता है।
विष्णु संग में महालक्ष्मी, अपने भक्तों के घर कृपा बरसाती हैं।।
जिस घर मालिक अंधेरा करके सोता, वहां लक्ष्मी नहीं जाती।
पूरी भक्ति मां लक्ष्मी जी के स्वागत में, भर रात पांव बिछा दी।।
- सुख मंगल सिंह
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