उलूक सम्मेलन
त्रिलोक पुरी में एक हुआ
बहुत बड़ा कवि सम्मेलन।
कुछ लोगों को मिला नया निमंत्रण
कवि सम्मेलन में हिस्सा आमंत्रण।
स्थानीय - राष्ट्रीय कवि की है बात
सम्मेलन में होगा पुस्तक विमोचन।
सुदूर इलाकों में बुलावा भेजा गया
सभा स्थल पर आने की पेशकश थी।
गुड़िया की मा प्रतापगढ़ी मना किया
दूजा अयोध्या- उल्लू को सीधा रोका।
फरमान पर फरमान सुनाए जा रहे थे
आयोजक बैठे-बैठे दुलराये जा रहे हैं।
लेखक मन ही मन खुनशाए जा रहे थे
उन्होंने मोबाइल घनघनाये जाते ही हैं।
बतकहीं पर बतकहीं बढ़ाया जा रहा
एक दूजे से यही बताया जा रहा था।
मंच पर बैठने की लगी थी ल.लाइन
तोता मैना की, दौरान चली कवायत।
तोता बोला सम्मेलन में हुई लड़ाई
बोली मैना किसी की हुई थी बड़ाई।
चक्र सम्राट का था राज अयोध्या पूरी
उलूक सम्मेलन में उन्हें नहीं बुलाया।
लेखक मन ही मन सोचा पछताया
भावुक! सम्मेलन ने हमें खूब छकाया।
आगंतुक तो उल्लू अपनी बात कही
पुस्तक की बात वहां कुछ नहीं कही।
हंगामे में ही सम्मेलन समाप्त हुआ
मन की मन में ले निज उल्लू घर गए।
- सुख मंगल सिंह
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