लड़के भले ही कहें कि ,लडकियाँ जतन से खोदे गये कुएं की तरह हैं ,
प्यास भर मीठा पानी निकालो और तृप्त हो जाओ ,
वे ऐसी लिपी -पुती कठपुतलियाँ हैं ,जिनकी भाव -भंगिमाए ,
सिर्फ़ और सिर्फ़ लडकों को रिझाने के लिए होती हैं .
ईश्वर ने बुद्धि बाँटते वक्त इनकी सुध ही नहीं ली या
ली भी तो इनके घुटनों में बीज दी ,
या कहें कि ,प्रेमिका से पत्नी बन गयी लडकियाँ ,
नरक का द्वार है ,जिनके कारण जीना मुहाल है ,
या कि ,
लडकियाँ कहें कि लड़के तंग गलियों के आवारा कुत्ते हैं ,
लाख दुरदुराने पर भी पीछे पड जाते हैं ,
ये लोफर ,मवाली ,व्याभिचारी हैं ,
ये चौबीस घंटे सुलभ ए;टी,एम हैं जिनसे ,
जितनी रक़म चाहो वसूल लो ,
ये इंगितों पर नाचने वाले मसखरे हैं ,
जब चाहे मनोरंजन कर लो .
लेकिन ,
जैसे वैधानिक चेतावनियों के बावजूद ,
छोड़े नहीं छूटते हैं नशीले पदार्थ ,वैसे ही
तमाम एहतियातों और मतभेदों को धता बताते हुए ,
हो ही जाता है प्यार!
" सुमन सिंह "
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