Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

बड़ा शहर

 

Sunil Jain


जितनी तस्वीर दिखाता है,

उससे ज्यादा छिपाता है,

क्योंकी है, ये बड़ा शहर|


रोटी देता है पर सकूँ छीनता है ,

क्यों की है , ये बड़ा शहर |


आदमी को आदमी से खुदगर्ज़ी के,

धागे से जोड़े रखता है ,

क्योंकी है, ये बड़ा श बड़ा शहर



खून बिकता है सस्ता,पर पानी बिकता ,

है महंगा ,क्योंकी ये, है बड़ा शहर|



कुत्ता ऐ. सी में रहे ,पर आदमी को नसीब,

नहीं फूटपाथ भी, क्यों की है ये बड़ा शहर |


छल कपट को नया रिवाज़ और होशियारी कहता है,

क्यों की है ये बड़ा शहर |


दिखा के सपने रिझाता ,दिखा के हकीकत डराता है ,

क्यों की है ये बड़ा शहर |

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ