Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एहसास

 

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Sunil Jain

1.कामयाबी की राह नाकामयाबी

की राह से फर्क होती है ,

कामयाबी की राह में आंसू बेमतलब,

जज्बात गैरजरूरी होते है,

सिर्फ खुदगर्ज इरादे जरूरी होते है|


2..चाँद जाते जाते बोला उगते सूरज से,

तू जलता है पूरा दिन,मैं चमकता हूँ पूरी रात , ,

क्या दूर कर पाए है हम दुनिया का अन्धेरा,

देके दुनिया को उजाले की सोगात|


3..सूरज की किरण लेके आई है जमी पर ,

लेके सूरज का ख़ास पैगाम,

दुनिया वालों तुमने इंसानों को नही बख्शा,

जमी को नही बख्शा ,

मेरी रौशनी को बक्श , मुझ पे कर दो अहसान|


4.ना ताज़ी हवा के लिए घर में झरोखे,

ना खिड़की में परिंदों के घोंसले,

ना परिंदों के लिए पानी का इंतजाम ,
कुदरत से क्यों दूर होता ,जा रहा है इंसान |

 

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