बिना आवाज़ उठाये किसी को इन्साफ नहीं मिलता ,,
इतिहास चुप रहने वालों को भी माफ़ नहीं करता।
कोई एक पक्ष तो लेना ही पड़ेगा तुम्हे बुद्धिजीव हो तुम ,
क्या विचार करेगा वो जो विचारों का पक्ष साफ़ नहीं करता।
कुछ सुनोगे ,कुछ देखोगे , कुछ सोचोगे ,तो जरुर कुछ कहोगे ,
इंसान हो ,वो साँप नहीं जो डसने से पहले आवाज़ नहीं करता।
अगर कोई सोचता है कि उसकी राय का क्या मोल ,
वो ये समझ ले की समाज भी उनकी इज़ज़त का हिसाब नहीं करता !
सहमत या असहमत होना कोई बड़ी बात नहीं ,,
अँधेरे में वो हैं जो विचारों की मशाल नही रखता !
सुनीता स्वामी
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