Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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अकड़ अकड़ के खूब घूम हैं तुम का कर लेहो

 

अकड़ अकड़ के खूब घूम हैं तुम का कर लेहो।
मतवाले से लटक झूम हैं तुम का कर लेहो।

 

हमरे मन में जो जो आ हे सो हम कर हैं।
मन के माफक हम बतयें हैं तुम का कर लेहो।

 

सत्ता की गद्दी पर हैगो हमरो कब्जा।
हम अपनी मर्जी के मालक तुम का कर लेहो।

 

पहन पहन के झक झक धोरो कुर्ता
मंच से हम भाषण दें हैं तुम का कर लेहो।

 

वाद विवाद न हमसे करियो नातर मर हो।
मूढ़ों में हम लट्ठ मार हैं तुम का कर लेहो।

 

खेत खिरेंना से हमें का लेवो देवो।
गोली से हम भुंजवेहे तुम कर लेहो।

 



धोरो-सफेद
मूढ़ों-सिर
नातर-नही तो
खिरेंना-खलिहान
भुंजवेहे-भून देंगे

 

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