सुशील शर्मा
हिंदी के साहित्य का
इंटरनेट पर राज।
कई हज़ार ब्लॉगर बने
होता हिंदी में काज।
अभिव्यक्ति अनुभूति
से शुरू हुई थी बात।
वेबपेज है अनगिनत
करते सबको मात।
स्वर्गविभा प्रतिलिपि
बनी हिंदी की आवाज़।
रचनाकार साहित्य सुधा
हैं हिंदी के परवाज।
वेबदुनिया और हिंदी कुंज
साहित्य की लहरी हैं।
शब्दों का उजाला और
वसुधा हिंदी के प्रहरी है।
साहित्य शिल्पी और
नेस्ट में हिंदी है लिपि बद्ध।
सहित्यकुंज और हाइकु
मंजूषा है हिंदी के लब्ध।
अंतरजाल पर बिछ गया
हिंदी का साम्राज्य।
हिंदी की हिमायत करें
भारत के सब राज्य।
फेसबुक व्हाट्स एप्प से
हुआ हिंदी साहित्य का प्रसार।
अंतरजाल ने दिया नए
लेखकों को प्रचार।
हिंदी लेखन से जुड़ा
नया मीडिया तंत्र।
विश्व की भाषा बन सके
यही है मूल में मंत्र।
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