सुशील शर्मा
किशोरी लाल के घर दो दो खुशियां आने वाली थीं। पहली उनकी बहु को संतान होने वाली है और उनकी एक गाय भी जनने वाली है।
डॉक्टर ने उन्हें बताया था की कल उनकी बहु की कभी भी डिलेवरी हो सकती है इसलिए उन्होंने अपनी पत्नी और बेटे को बहु के साथ कल ही अस्पताल भेज दिया था।
आज सुबह वो जल्दी उठ गए थे वो अभी गुसलखाने से स्नान करके ही निकले थे की गाय ने रंभाना शुरू कर दिया। किशोरीलाल दौड़ कर सार में पहुंचे देखा गाय जन चुकी थी एवम बच्चे को प्यार से चाट रही थी। किशोरी लाल ने पास जाकर देखा गे ने बछड़े को जना था। किशोरीलाल का मन दुखा उनके मुँह से अचानक निकला "बछिया न जन सकी तुम "।
करीब सुबह आठ बजे उनका पुत्र मुह लटकाये हुए आया बोला "पिताजी लड़की हुई है। "किशोरी लाल का मन बहुत दुखी हो गया उनके मुँह से फिर आह निकली "बहू लड़का न जन सकी तुम। "
कत्लगाह जाते बछड़े और ससुराल में जलती लड़कियों का दर्द उनके चेहरे पर स्पष्ट झलक रहा था।
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