सुशील शर्मा
बहारें फिर भी आएँगी
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।
फिजायें गुल खिलाएंगी
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।
तोड़ कर दिल यूँ जाने का
सबब तो बता देते।
खुशियां अब भी मुस्कुरायेंगीं
ज़माने में भले तुम न रहोगे।
कभी किसी के जाने से
कोई मर नहीं जाता।
कलियां फिर खिलेंगी
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।
कभी निकलो इस गली से
तो एक नजर देख लेना।
बहारें गुनगुनाएंगी इस
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे।
वो कोई और होते है
जो गम से टूट जाते हैं।
ये आँखे मुस्कुरायेंगीं
ज़माने में भले ही तुम न रहोगे
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