Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बहुत शोर है

 

सुशील शर्मा

 

 

बहुत शोर है

तेरी रचना मेरी रचना

तेरा सम्मान मेरा पुरुष्कार

तेरी किताबें मेरे लेख

तेरी गज़लें मेरी कवितायेँ

वाह वाह हाय हाय

फेसबुक व्हाट्स एप्प

इन्टरनेट ट्विटर ।

बहुत शोर है।

अन्तर्मन बहुत अशांत

कलह मची है।

आज मेरी रचना को

किसी ने नहीं सराहा।

आज किसी ने मेरी

रचना पर ध्यान नहीं दिया।

आज मुझे ग्रीन कार्ड नहीं मिले।

आज मुझे ये सम्मान मिला।

आज मुझे ये पुरुष्कार मिला।

इधर रचना भेजी उधर किताब छपी।

हाय सम्मान हाय सम्मान

रचनाधर्मिता एक कोने में

पड़ी सिसक रही है।

जब भी वह खिड़की से झांकती है।

सम्मान पुरुष्कार किताबें चीखती हैं।

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