Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बेटियां

 

सुशील शर्मा




मेरी बिटिया

पापा के काँधे पर

बाँहों का झूला।

 


सोच में डूबी

पापा कब आएंगे

नन्ही सी परी।

 


सुनो तो परी

तुम बिन बिटिया

सूना जीवन।

 


बेटी की आँखें

चंचल चितवन

मन की पाँखें।

 


माँ की दुलारी

पग पग चलती

बिट्टो हमारी।

 


मन मुदित

घर में नन्ही परी

किलकारियां।

 


पापा की गोद

गालों पर ली पप्पी

प्यार की झप्पी।

 


पापा का सुख

खिलखिलाती बेटी

आनंद मग्न।

 


पलक बंद

नन्ही परी सो गई

आओ सपने।

 


तोतली बोली

बीणा सी बजती है

मन झंकृत।

 


कोख में बेटी

माँ मुझे जन्म दे दो

गोद चाहिए।

 

 

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