Swargvibha
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चाँद

 

 

chand

 

सुशील शर्मा

 

 

चाँद सी गोल
गरीब की रोटियाँ
थाली में तारे।

 

चाँद किनारे
सुनहरे सपने
बुनने तो दो।

 

चाँद चकोरी
कह कर बतियाँ
बहलाओ ना।

 

चाँद छत पे
पर तुम न मिले
कल का वादा।

 

छुपता चाँद
घूँघट में चेहरा
दीदार तेरा।

 

ईद का चाँद
चिलमन से झाँका
प्यारा चेहरा।

 

मन का चाँद
अनंत आसमान
उड़ता पंक्षी।

 

शुभ्र धवल
उज्जवल प्रांजल
शशि नवल।

 

चाँद सी बिंदी
सुहागन के माथे
पिया का संग।

 

चाँद निकला
पर तुम न आये
उदास रात।

 

चाँद का दाग
मुख पर ढिटोना
कित्ता सलोना।

 

नीरज निशा
पिया गए विदेश
बैरी निंदिया।

 

चाँद सी तुम
बिखेरती चांदनी
महकी रात।

 

तुम्हे क्या कहूँ
चौदहवीं का चाँद
या आफताब।

 

चंदा रे चंदा
संदेशा उन्हें देना
पिया बावरी।

 

ओ चंदा मामा
मुनिया के खिलौने
साथ में लाना।

 

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