सुशील शर्मा
रास्ते मे देखा
एक नेता जैसा
आदमी....
एक गरीब के पैर
पर पड़ा था।
मुझे आश्चर्य हुआ
पता चला वह
चुनाव में खड़ा था।
कुछ दूर
गरीबों का
मोहल्ला था।
देखा वहां
बहुत हल्ला था।
वहां एक घटना घटी।
घर घर शराब बटी।
रात में जब
सब सो रहे थे।
नेताजी...
चुनाव के बीज
बो रहे थे।
नेता जी के लोग
दुबक कर
मलाई
चाट रहे थे।
चुनावी पर्चियां में
रख कर
पांच सौ के नोट
बांट रहे थे।
नेता जी महिलाओं
से रिश्ते सान रहे थे।
किसी को माँ
किसी को बहन
किसी को भाभी
मान रहे थे।
एक जगह
लट्ठ भंज रहे थे।
देखा
नेता जी के विरोधी
मंज रहे थे।
कुछ प्यार
कुछ मनुहार
बांकि फुफकार
कुछ पैसे
कुछ डंडे
ये हैं नेता जी के
चुनावी हथकंडे।
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