रंभाती गायें
धूल उड़ाती नार
गोधूलि बेला।
गधे की रेंक
किसी की मत सुनो
अपनी फेंक।
आम के बौर
कोयल की कुहुक
साजन आये।
वन में मोर
खंजन का कुंजन
भंवरा मन।
पीहू पपीहा
साजन के आँगन
बाजे पैजन।
तोता रटंत
समझा कुछ नहीं
मनगढंत।
सुशील कुमार शर्मा
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