सुशील कुमार शर्मा
1.मन के कष्ट
जीवन की कसौटी
सभी के पास।
2. दुखी ह्रदय
मन की संवेदना
गिरते अश्रु।
3. कर्म का फल
हमेशा रहे साथ
न हो निष्फल।
4. धरा पर कर्म
धनुष छूटा तीर
चूके न शर।
5. कर्म फल है
शब्द बने पत्तियां
तना शरीर।
6. कर्म आकृति
तप मेरा ह्रदय
क्रिया शरीर।
7.सूर्य में तेज
कर्म से प्रकाशित
मनुज देह।
8 .कर्म का लक्ष्य
गुणोत्तर आनंद
बंधन मुक्त।
9. निष्काम कर्म
अनासक्त मनुष्य
साधना पथ।
10. कर्म कुसुम
ईश्वर को अर्पित
अहं से मुक्त।
11.सुन्दर कर्म
स्वर्ग में अभिसार
प्रभु के संग।
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