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Dr. Srimati Tara Singh
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दुर्गा वंदना

 

 

सुशील शर्मा

 

हे शैल सुता
महिषासुर घाती
तुम्हे प्रणाम।

 

विश्व धारणी
माता ब्रम्हचारिणी
नमस्करोमि।

 

गिरिनंदिनि
भवानी चंद्रघंटा
श्रितरजनी।

 

कोमल कांति
शुम्भासुर घातनी
जय कुष्मांडा।

 

हे आद्यशक्ति
सर्व योग सम्भुते
स्कंधमाते।

 

महाकालिकां
सिंहस्कन्धाधिरूढं
हे कात्यायनी।

 

ॐ कालाभ्राभां
मौलीबंद्देन्धु रेखां
माँ कालरात्रि।

 

मधुमर्दिनी
शशिशकलधरां
हे महागौरी।

 

माँ सिद्धिदात्री
विद्युतसमप्रभां
सृष्टि रूपाय।

 

 

सुशील शर्मा

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