Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक बार तो कहते

 

एक बार तो कहते मत जाओ तुम मेरी हो।
एक बार तो कहते आ जाओ तुम मेरी हो।
मन की पहली धड़कन तुम्ही थे।
तन की पहली सिहरन तुम ही थे।
आंखों में तुम प्रथम दृष्टया प्रेमी थे।
जीवन का पहला सुमिरन तुम ही थे।
एक बार तो कहते रुक जाओ तुम मेरी हो।
एक बार तो कहते मत जाओ तुम मेरी हो।
जीवन के अनुरागों को तुम से बल था।
हृदय के गहरे भावों को तुम से बल था।
जीवन की हर खुशी शुरू थी तुमसे।
जीने के हर पल को तुम से बल था।
एकबार तो कहते फिर आओ तुम मेरी हो।
एक बार तो कहते मत जाओ तुम मेरी हो।
तुम बिन जीवन सूना सा मन थका थका।
तुम बिन आँगन रूठा सा सब रुका रुका।
तूफानों में नाव किनारा मुश्किल है।
तुम बिन मन ये टूटा सा दिल फटा फटा।
एक बार तो कहते दिल दे जाओ तुम मेरी हो।
एक बार तो कहते मत जाओ तुम मेरी हो।

 

 

सुशील कुमार शर्मा

 

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