Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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एक लड़की

 

एक लड़की
बर्तन थी मांजती
गिद्ध निगाहें
आशंकित मन
थरथराता तन।

 

प्रेम अपार
जीवन का आधार
पिया का संग
तन भरे उमंग
मन है सतरंग

 

दर्द के पल
रोती मुस्कुराहटें
घायल शब्द
दशमलव मन
बौना होता अस्तित्व।

 

देह देहरी
भौतिक अनुभूति
आत्म संकल्प
प्रेम की उपासना
आध्यत्मिक साधना

 

 

सुशील शर्मा

 

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