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काली नागिन
विष फुफकारती
मन की ईर्ष्या।
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मन में ईर्षा
स्वाभाविक पृवत्ति
अवहेलनीय।
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हीनता बोध
पनपती है ईर्ष्या
दे संकीर्णता।
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सुशील कुमार शर्मा
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काली नागिन
विष फुफकारती
मन की ईर्ष्या।
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मन में ईर्षा
स्वाभाविक पृवत्ति
अवहेलनीय।
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हीनता बोध
पनपती है ईर्ष्या
दे संकीर्णता।
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सुशील कुमार शर्मा
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