सुशील शर्मा
नीरज का मुंह लटका था आज जी मैन का रिजल्ट आया था और वह क्वालीफाई नही कर सका था।
पिता ने उसकी मनोदशा समझ कर प्यार से कहा
*सुनो बेटा तुम परीक्षा में असफल हो गए बस इतनी सी बात पर इतना दुख क्यों?*
"पापा मैंने कितनी मेहनत की और आपका कितना पैसा खर्च हो गया और ये रिजल्ट मैं बहुत शर्मिंदा हूँ पापा"लगभग सुबकते हुए नीरज ने कहा।
*लेकिन मुझे बिल्कुल भी दुख नही है इन्फेक्ट में खुश हूं*
पापा ने लगभग मुस्कुराते हुए कहा
नीरज को बहुत आश्चर्य हो रहा था।
तुम्हे मालूम है नीरज आजकल देश मे बेरोजगार इंजीनियरों की संख्या करोड़ों में है।मुझे हमेशा डर लगता था कि उस संख्या में तुम भी शामिल न हो जाओ।
मेरा वह डर आज खत्म हो गया है।
इस परीक्षा से iit और nit और पैसे वाले इंजीनियर कालेज में दाखिला होता है।सोचो कितना खर्च कर तुम बेरोजगार होते तो मुझे कितना कष्ट होता। दाखले के बाद माँ बाप का खून पसीने का पैसा लगता है
और फिर बच्चा बेरोजगार होकर
3हज़ार की नौकरी के लिएदर दर भटकता है।
पिता नीरज को बहुत गंभीरता से समझा रहे थे।और नीरज के सामने से जैसे एक एक कर सब पर्दे खुल रहे थे।
*अच्छा हुआ जो तुम्हारा उस परीक्षा में दाखिला नही हुआ।वरना तुम्हारी भी वही हालात होती जो आज करोड़ो बेरोजगार इंजीनियरों की हो रही है।*
अब मौका है कलेक्टर बनो पुलिस अधिकारी बनो बैंक अधिकारी बनो
अपना बिजिनेस करो।तुम्हारा भविष्य अब सुरक्षित है।हज़ारों राहें तुम्हे पुकार रहीं हैं।
उठो आगे बढ़ो ओर पूरे आसमान को अपनी बाहों में भर लो।
नीरज को लगा जैसे सारा आसमान उसकी और आ रहा है।
*पापा अब मैं आपको कुछ बनकर दिखाऊंगा*
कहकर नीरज पापा से लिपट गया।
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