हर एक कतरा समंदर हो गया।
दर्द मेरा देखो कलंदर हो गया।
आंसुओं का रिसाव मत रोको।
दरिया सा दर्द तेरे अंदर हो गया।
तितली सी उड़ती हैं हवा में यादें।
दिल मेरा वीरान मंदर हो गया।
मैंने शोहरत को जब भी ठुकराया।
गुमनाम सा मैं देखो सिकंदर हो गया।
धूप की धमकी से देखो ओस सहमी है।
न जाने क्यों आज सूरज समंदर हो गया।
गुरुर जिस पे था वो बेवफा निकला।
हवा का झोंका देखो बवंडर हो गया।
सुशील शर्मा
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