सुशील शर्मा
हिलेरी की हार का सीधा साधा मतलब है। राजनीतिक, आर्थिक व सामरिक मोर्चे पर अमरीका बदलने जा रहा है।दुनिया के सबसे ताकतवर पद पर ट्रंप का आना अमेरिकी समाज व देश के लिए कैसा रहेगा। मुसलमानों, महिलाओं और अश्वेतों के प्रति ट्रंप का रवैया लोगों के लिए बहुत चिंताजनक व कथित तौर पर अस्वीकार्य कहा जा रहा था लेकिन उनकी जीत शायद इसे गलत साबित करती है। हम अगर कहें कि इसके बाद इतिहास को ट्रंप से पहले व ट्रंप के बाद का काल के रूप में याद रखेगा तो अतिश्योक्ति नहीं होगी।ट्रंप की जीत दुनिया विशेषकर अमेरिकी मीडिया के लिए बड़ा झटका साबित होगी। कथित उदार व प्रगतिशील सोच वाला मीडिया शुरू से ही ट्रंप के पीछे हाथ धोकर पड़ा था। वह चाहे वाशिंगटन पोस्ट हो, अटलांटिक, न्यूयार्क टाइम्स या हफिंगटन पोस्ट.. सभी खुलकर ट्रंप का विरोध कर रहे थे। इतिहास में पहली बार शायद ऐसा हुआ।
कहाँ होगी भारत को मुश्किल :-
विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप की जीत के बाद भारत और अमेरिका के डिफेंस और व्यापारिक समझौते बेहतर हो सकते हैं। साथ ही चीन और पाकिस्तान जैसे देशों के लिए दिक्कत हो सकती है।ट्रम्प ने अक्सर अपने चुनावी भाषणों में अमेरिका के हितों की रक्षा की बात प्रमुखता से रखी थी।उन्होंने कहा है कि ओबामा के सभी विदेशी व्यापारिक समझौतों की समीक्षा की जायेगी।इससे स्पष्ट है कि भारत भी इन व्यापारिक समझौतों की समीक्षा से अछूता नहीं रहेगा।
ट्रम्प ने H1B वीसा प्रोग्राम ने विरोध किया है इसमें भारत की आईटी कम्पनियाँ विशेष कर इनफ़ोसिस एवं टीसीएस प्रभावित होगी।
*भारत के पक्ष में क्या:-*यद्यपि ट्रम्प ने इमिग्रेशन नियमों को कड़ा करने की बात कही है लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वो भारत के अधिक नए उद्योगपतियों एवं छात्रों को अमेरिका में देखना चाहतें हैं जो अमेरिका के विकास में सहायक होंगे।
अपने पूरे चुनावी अभियान में ट्रम्प ने चीन ने की कठोर शब्दों में निंदा की है और उसे अमेरिका की सबसे बड़ी रूकावट करार दिया है।ट्रम्प ने कहा कि चीन मुद्रा का सबसे बड़ा मेनुपुलेटर है और अगर चीन पुनः अपने व्यापार समझौतों को अमेरिका के हितों के अनुकूल नहीं करेगा तो उसके सामान पर कठोर कर लगाये जायेंगे ।यह भारत के लिए राहत की बात है।
पाकिस्तान को ट्रम्प ने आतंकवाद का स्वर्ग कहा है उन्होंने कहा कि हम इस्लामिक आतंकवाद का डट कर मुकाबला करेंगें।उन्होंने भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का पुरजोर समर्थन किया है।
ये सारे तथ्य ट्रम्प को भारत के पक्ष में खड़ा करते हैं और अमेरिका की एशिया नीति में भारत उसका नेचुरल अलाइ बन कर उभर सकता है।
एक और जहाँ भारत ट्रम्प की जीत को आशावादी दृष्टिकोण से देख रहा है वहीँ अमेरिका में इस समय बड़ी उहापोह है।
अमेरिका के सभी व्यापारिक हिस्सेदार देशों के उद्योगपतियों के मन में ट्रम्प को लेकर कई प्रश्न है।उनको डर है कि ट्रम्प की जीत व्यापारिक समझौतों के लिए खतरे की घंटी है।
अमेरिका के कई राजनीतिक विश्लेषकों को डर है कि हिलेरी की हार से अमेरिका में महिलाओं एवं अल्प संख्यकों के अधिकारों में असमानता का व्यवहार बढ़ सकता है।अमेरिका में रहने वाले मुस्लिम,मेक्सिकन एवं अवैध रहवासियों के लिए ट्रम्प की जीत कहर बन सकती है।उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का इलाज सिर्फ भारत कर सकता है और इसके लिए वो भारत की हर संभव सहायता करेगा।अमेरिका के राजनीतिक वैश्लेषिक मानते है कि ट्रम्प की जीत अमेरिका में रूस के लिए प्रवेश का एक सुनहरा अवसर है जो कि अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा है।
अपने चुनावी अभियान में रिपब्लिकंस ने तो ट्रम्प को अमेरिका का"मोस्ट रेकलेस प्रेजिडेंट"पहले ही घोषित कर दिया था।
लेकिन इन सब से दरकिनार ट्रम्प ने सभी विश्लेषकों को "फेल्ड वाशिंगटन एलीट" कह कर "अमेरिका फर्स्ट"का नारा देकर चुनाव जीत लिया।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY