सुशील शर्मा
हे शहर तुम अब मत रुको।
आगे बढ़ो हरदम आगे बढ़ो।
हे शहर तुम क्यों निराश हो।
जिला न बनने पर क्यों हताश हो।
क्या हुआ अगर जनप्रतिनिधि सुस्त हैं।
क्या हुआ गर राजनीति में लिप्त है।
क्या हुआ गर तेरे सपने रो रहे हैं।
क्या हुआ गर तेरे अपने सो रहे हैं।
राजस्व में तुम नंबर एक हो।
जिले की तहसीलों में श्रेष्ठ हो।
महाकौशल के तुम सबसे लाड़ले हो।
कठिन संघर्षों की धूनी में पले हो।
अशुतोषी माँ से सदा रक्षित हो तुम।
दूधी शक्कर की गोद में सुरक्षित हो तुम।
प्रगति के नवल पथ पर चल रहे हो तुम।
हरकदम नया इतिहास लिख रहे हो तुम।
क्षेत्र का सबसे विकसित नगर हो तुम।
ताप विद्युत संयंत्र का शहर हो तुम।
तुमसे श्रेष्ठ प्रदेश में कहीं किसानी नहीं है।
शिक्षा की उत्कृष्टता में तुम्हारी सानी नहीं है।
तुम सुन्दर हो सुघड़ हो सलोने हो
हम सभी के प्यारे प्यारे बिछौने हो।
तुम्हारे पास 'ओशो'है 'राना' है।
तुम्हारे पास सदियों का खजाना है।
क्या कमी है तुम में मुझे कोई बताओ।
प्रश्न क्यों अस्तित्व पर कुछ तो सुनाओ।
अगर शासन जिला घोषित न करे हमको।
धिक्कार हम सभी गाडरवारा के सपूतों को।
सभी मिल कर आओ लड़ाई ऐसी लड़े हम।
इस विषय पर सब एक होकर चलें हम।
शहर के हर घर से एक आवाज आये।
हर गली हर कूचे से ये बात जाए।
हमें बस अब हमारा अधिकार देदो।
इस शहर को जिले की सौगात देदो।
हे शहर तुम अब मत रुको।
आगे बढ़ो हरदम आगे बढ़ो।
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