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जाग तुझ को दूर जाना

 

सुशील शर्मा

 


मंजिलें हैं दूर तेरी रास्ता काँटों भरा है।

जिंदगी संघर्ष तेरी आग से दमन भरा है।

गम के प्याले हैं तुझ को पीना।

जग तुझ को दूर जाना।

है किसे फुर्सत यहाँ

गम बटानें को तेरे।

कौन आएगा यहाँ

आंसू पीने को तेरे।

आंसुओं का ये समंदर आज तुझ को पार करना।

जाग तुझ को दूर जाना।

जिंदगी के हर कदम पर

मौत तेरे पास है।

मौत से ही लड़ कर जीना

अब तुम्हारे हाथ है।

जिंदगी जीना है तो कर मौत का तू सामना।

जाग तुझ को दूर जाना।

जिंदगी का हर गम में

सफलता का राज है।

राह का हर एक काँटा

आज की आवाज है।
जिंदगी की हर कठिनता पर विजय तुझ को आज पाना।

 

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