Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जहाँ तुम हो

 

 

जहाँ तुम हो

लगो सबको प्यारे

प्रिय हमारे।

 

जबसे गए

आँगन से हमारे

यादें सहारे।

 

कब आओगे

इन्तजार में तेरे

नयन सारे।

 

गोधूलि बेला

पंछी घोंसला चले

गायों का रेला।

 

तटस्थ है जो

भाग नहीं सकते

काल न बख्शे ।

 

काल का वलय

समय की परिधि

घेरे में सब।

 

 

सुशील कुमार शर्मा

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