Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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जीवन चक्र

 

1.जीवन चक्र
स्वयं पर विश्वास
होता ये काश

2.स्वाद विवाद
चलो दोनों को छोडो
सम्बन्ध ओढो

3.धन सार्थक
जब धर्म साथ हो
तुम पास हो

4.अपने रिश्ते
आपस में विश्वास
सही सम्पति

5.प्यारे अतिथि
आवभगत खूब
कब जाओगे

6.आधा जीवन
स्वप्न की दुनिया
बाकी दोहन

7.कभी न था
एतबार तुम पे
दिल टूटा था

8.विसरा सुख
आज तक न भूला
तुम्हारा मुख

9.मैं आइना था
न पढ़ सका तुम्हे
दुःख के लम्हे

10.घडी गिफ्ट दी
पिताजी को बेटे ने
समय नहीं

11.जहाँ अँधेरा
दीपक है जलाया
जगमगाया

12.सच्चे सम्बन्ध
मुश्किल है बनना
मेरी सुनना

13.राधाष्टमी का
पावन अवसर
प्रेम सुमिर

14.84 लाख में
एक मात्र मानव
पगा प्रेम में

15.कुबूल है तू
बस शर्त इतनी
फेंक नकाब

 

 

सुशील शर्मा

 

 

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