Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

कविता क्या है

 

सुशील शर्मा

 


हर परमाणु में कविता है,
हर कविता विराट का रूप।
हर बिंदु में कविता है,
सागर है कविता का स्वरूप।

 

ये ब्रह्मांड महाकाव्य है,
कविता है इसका आधार।
मानवता की अनुभूति का,
कविता है अभिव्यक्त विचार।

 

अंधकार में दीप है कविता,
भूख में अन्न प्यास में जल।
कविता दुख में धैर्य बढ़ाती,
विरह में बने मिलन अविचल।

 

कविता है मन भावन परिणय,
कविता प्रेम मिलन अभिसार।
कविता है दुल्हन की बिंदी,
यौवन का है पहला प्यार।

 

कविता सरिता सी झरती है,
अमरावती की अमृतधारा।
कविता है जीवन का अनुभव,
इसमें समाहित ये जग सारा।

 

छन्द अलंकार के गहने पहने,
कविता सजती मन के दर्पण।
विभिन्न विधाओं में सजती है
कर अपना सर्वस्य समर्पण।

 

आत्मानुसंधान का उन्मेष है कविता।
वर्णमय भाव की है अभिव्यक्ति।
कविता हृदय की धड़कन जैसी।
शब्द भाव की है संयुक्ति।

 

गद्य जहां पर आकर रुकता,
कविता शुरू वहां से होती।
मन के वीरानों से झरकर,
भावों की सरिता में खोती।

 

समालोचना जीवन की है,
सुख दुख सब कुछ सहती है।
कुछ तेरे ढंग कहती कविता,
कुछ मेरे संग रहती है।

 

हँसना,गाना और रिझाना,
कविता का दस्तूर नही।
मंचों पर सर्कस करवाना,
कविता को मंजूर नही।

 

रुदन और क्रंदन जब
अभिव्यक्ति नही पाते हैं।
अंतस में कविता बुनकर ,
वो शब्दों में लहराते है ।

 

देवलोक की मधुरगूँज है,
कविता सुमन है कानन का।
सोलह श्रंगारों सी सजती,
कविता काजल आनन का।

 

कविता शब्द नही शांति है,
कोलाहल से परे ध्यान है।
शब्दों के कलरव से आगे,
अंतस का ज्योतिर ज्ञान है।

 

बाह्य प्रकृति का अन्तःशक्ति से
मिलना ही कविता क्षण है।
हृदयों के मर्मों को छूना,
कविता का पहला गुण है।

 

मानवीय करुणा का उद्रेक,
कविता का आधार बने।
मनोव्यथा जब असह्य होती,
कविता नया विचार बने।

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ