सुशील शर्मा
न पूजा न अरदास करता हूँ।
माँ तेरे चरणों में निवास करता हूँ।
औरों लिए तू सब कुछ दे दे।
मैं तेरी मुस्कान की आस करता हूँ।
तेरा हर आंसू दर्द का समंदर है।
माँ बक्श दे मुझे जो दर्द अंदर है।
यूँ न रो अपने बेटे के सामने।
तेरा आँचल मेरे लिए कलंदर है।
माँ तू क्यों रोती है मैं हूँ ना।
तुझको जन्नत के बदले भी मैं दूँ ना।
तेरी हर सांस महकती मुझ मैं।
तेरे लिए प्राण त्याग दूँ ना।
तू गीता सी पवित्र है।
तू सीता का चरित्र है।
तुझ में चारों धाम विराजे।
तू मेरी अनन्य मित्र है।
तू रेवा की निर्मल धारा।
गंगा का तू मोक्ष किनारा।
तेरे चरणों में है ईश्वर।
तू मेरा जीवन उजियारा।
आंसू गिरे आँख से तेरे।
धिक्कार उठे जन्मों को मेरे।
मत रो माँ तू अब चुप हो जा।
शीश समर्पित चरण में तेरे।
माँ सावन की फुहार है।
माँ ममता की गुहार है।
माँ तेरे महके आँचल में।
हम बच्चों की बहार है।
तेरी ममता काशी जैसी।
बिन तेरे ये धरती कैसी।
तेरे हर आंसू की कीमत।
मेरे सौ जन्मों के जैसी।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY