(एक शहीद का अंतिम पत्र )
सुशील शर्मा
अपने शोणित से माँ ये अंतिम पत्र तुझे अर्पित है।
माँ भारती के चरणों में माँ ये शीश समर्पित है।
माँ रणभूमि में पुत्र ये तेरा आज खड़ा है।
शत्रु के सीने पर पैर जमा ये खूब लड़ा है।
कहा था एकदिन माँ तू पीठ पे गोली मत खाना।
शत्रु दमन से पहले घर वापस मत आ जाना।
सौ शत्रुओं के सीने में मैंने गोली आज उतारी है।
माँ तेरे बेटे ने की शत्रु सिंहों की सवारी है।
भारत माँ की रक्षा कर तेरे दूध की लाज बचाई है।
माँ तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
मातृभूमि की धूल लपेटे तेरा पुत्र शत्रु पर भारी है।
रक्त की होली खेल शत्रु की पूरी सेना मारी है।
वक्षस्थल मेरा छलनी है लहू लुहां में लेटा हूँ।
गर्व मुझे है माँ तुझ पर मैं सिंहनी का बेटा हूँ।
मत रोना तू मौत पे मेरी तू शेर की माई है।
माँ तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
पिता आज गर्वित होंगें अपने बेटे की गाथा पर।
रक्त तिलक जब देखेंगे वो अपने बेटे के माथे पर।
उनसे कहना मौत पे मेरी आँखें नम न हो पाएं।
स्मृत करके पुत्र की यादें आंसू पलक न ढलकाएं।
अब भी उनके चरणों में हूँ महज शरीर की विदाई है।
माँ तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
उससे कहना धैर्य न खोये है नहीं अभागन वो ।
दे सिन्दूर माँ भारती को बनी है सदा सुहागन वो।
कहना उससे अश्रुसिंचित कर न आँख भिगोये वो।
अगले जनम में फिर मिलेंगें मेरी बाट संजोये वो।
श्रृंगारों के सावन में मिलेंगें जहाँ अमराई है।
माँ तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
स्मृतियों के पदचाप अनुज मेरे अंतर में अंकित हैं।
स्नेहशिक्त तेरा चेहरा क्या देखूंगा मन शंकित है।
ह्रदय भले ही बिंधा है मेरा रुधिर मगर ये तेरा है।
अगले जनम तू होगा सहोदर पक्का वादा मेरा है।
तुम न रहोगे साथ में मेरे कैसी ये तन्हाई है।
माँ से कहना मैंने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
बहिन नहीं तू बेटी मेरी अब किस को राखी बांधेगी।
भैया भैया चिल्लाकर कैसे तू अब नाचेगी।
सोचा था काँधे पर डोली रख तेरी विदा कराऊंगा।
माथे तिलक लगा इस सावन राखी बँधवाऊंगा।
बहना तू बिलकुल मत रोना तू मेरे ह्रदय समाई है।
माँ से कहना मैंने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
पापा पापा कह कर जो मेरे काँधे चढ़ जाती थी।
प्यार भरी लोरी सुन कर वो गोदी में सो जाती थी।
कल जब तिरंगें में उसके पापा लिपटे आएंगे।
कहना उससे उसको पापा परियों के देश घुमाएंगे।
उसको सदा खुश रखना वो मेरी परछांई है।
माँ तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
माँ भारती के भाल पर रक्त तिलक चढ़ाता हूँ।
अंतिम प्रणाम अब सबको महाप्रयाण पर जाता हूँ।
तेरी कोख से फिर जन्मूंगा ये अंतिम नहीं विदाई है।
माँ तेरे बेटे ने अपने वक्षस्थल पर गोली खाई है।
सुशील कुमार शर्मा
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