सुशील शर्मा
मन हरणी घनाक्षरी
8887 पदांत लघु गुरु
माँ मस्तक का चन्दन
माँ फूलों की है बगिया
माँ धरा सी विस्तारित
माँ ही मेरी दुनिया।
माँ चाँद जैसी शीतल
माँ मखमल सी नर्म
माँ सृष्टि का सरोकार
सबसे बड़ा धर्म।
सीता सी सहनशील
माँ दुर्गा अवतरणी
माता के श्री चरणों में
मेरी है वैतरणी।
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