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माँ

 

सुशील शर्मा

 

 

माँ तो बस माँ होती है
तुम रोते हो तो रोती है
तुम हँसते हो तो हँसती है।
माँ तो बस माँ होती है।
संतान की वह रक्षक होती है।
बच्चों की पहली शिक्षक होती है।
अपने जीवन को खोकर भी वह
औलादों के आंसू पीती है।
माँ तो बस माँ होती है।
जब भी देर से लौटा घर को
तकती रहती है वो दर को।
प्यार भरी नजरों से तक कर
फिर वो थक कर सो जाती है।
माँ तो बस माँ होती है।
समझदार होकर भी कच्चा हूँ
मैं तो बस माँ का बच्चा हूँ।
जब भी दुखों ने मुझको घेरा
माँ ने सिर पर हाथ है फेरा।
माँ के क़दमों में जन्नत होती है
दुखता सिर मेरा और माँ रोती है।
माँ तो बस माँ होती है।

 

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