Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

माहिया-3

 

(तीन पदी 12,10,12 मात्राएँ)
सुशील शर्मा

सरल सहज सुन्दर सरस
सुखद सहस सानंद
फूल सा बीता बरस।

दूर रह कर भी पास
अद्भुत है ये प्यार
तुम्हारा ही अहसास।

 मन का तुमसे नाता
जब देखो तब ही
तुम्हारा साथ भाता।

तुम पर स्नेह लुटाऊँ
तेरी यादों में
आंसू न रोक पाऊं।

दूर न मैं कर पाया
तुमको इस मन से
तुमने बहुत सताया।

 

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ