Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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मेरी रचना

 

अरे भाई देख लो मेरी रचना को

एक बार वाह वाह कर दो

क्या कहा नहीं आई पसंद

क्योंकि वो काली है कलूटी है।

या मेरे पास नहीं है सजावट का सामान क्रीम पाउडर ।

मेरी नजर में तो वह सुन्दर और सुरीली है।

मेरे अपने खून से निकली बून्द सी।

भले ही तुम पसंद न करो

लेकिन दुत्कारो मत उसे।

उसमे भले ही सजावट नहीं है।

पर दिखावट भी नहीं है।

उसमे शब्दों के अलंकार नहीं है।

पर उसमे मेरे ह्रदय के उद्गार हैं।

वह जैसी भी है मेरी अपनी कृति है।

मेरी आत्मा का एक टुकड़ा है।

 

 

सुशील कुमार शर्मा

 

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