सुशील शर्मा
भारतीय संस्कृति जीवन की विधि है।
संस्कारों से पोषित बहुमूल्य निधि है।
विश्व की पहली और महान संस्कृति।
विविधता में एकता की अनुरक्त समीकृति।
अमृत स्रोतस्विनी विकास चिरप्रवाहिता।
संस्कारित और परिष्कृत विचार वाहिता।
धन्य सुवासित भारतीय संस्कृति सुपुष्पी।
ज्ञान भक्ति सदकर्मों के प्रांगण में पनपी।
समेटे सांस्कृतिक,धार्मिक ,भाषा की विविधता।
शिष्टाचार, संवाद, धार्मिक संस्कारों की परिशुद्धता।
परिवारों, जातियों,और धार्मिक समुदायों का सभ्याचार।
विवाह ,परम्पराएं , रीति-रिवाज़ ,उत्सवों का मंगलाचार।
इंसानियत, उदारता, एकता, धर्मनिर्पेक्षता,अपनाएंगें।
समता ,समन्वय ,सदाचार से इसे अक्षुण्य बनायेगें।
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