सुशील शर्मा
ये तो कोई मुलाकात न हुई।
दो पल भी तुम से बात न हुई।
बिजली सी चमकती तुम निकल गईं।
नजर की नजर से मुलाकात न हुई।
बहुत सोचा कि आंखे जज्बात कहें।
ये झुकीं तो फिर उनसे न बात हुई।
मन में बहते रहे दर्द के दरिया।
इन आँखों से न फिर बरसात हुई।
हर पल मेरे जेहन में तुम समाये हो।
रूबरू होकर न कभी तुमसे बात हुई।
रात को चांद छत पर आया था।
कितनी मधुर सुहानी वो रात हुई।
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