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नव वर्ष -पुरानी यादें नए दायित्व

 

सुशील शर्मा

 

 

कैलेंडर से उतरता वर्ष।
दे रहा है मन को हर्ष ।
कुछ विस्मृत सी यादें ।
कुछ चीखती फरियादें ।
काले धन पर चोट है ।
आज भी बिकता वोट है ।
नोट बंदी का ऐलान है ।
लाइन में खड़ा इंसान है ।
आतंकियों से फाइट है ।
सीमा पार सर्जीकल स्ट्राइक है ।
जेनयू की शर्म है ।
नीच होते कर्म है ।
पाकिस्तान की फ़ांस है ।
चीन की अटकी साँस है ।
पक्ष कटिबद्ध है ।
विपक्ष अवरुद्ध है ।
परिजनों की पीर है ।
मन बहुत अधीर है ।
कहीं ख़ुशी कहीं गम है ।
हँसते हुए भी आँखे नम है ।
चुनौतियों का चक्कर है ।
ख़ुशी और गम में टक्कर है ।
रोती सिसकती संवेदना है ।
मन में घुटती वेदना है ।
समाज का ध्रुवीकरण है ।
दिखावे का आकर्षण है ।
'सुल्तान'से 'दंगल'है ।
बाकी सब कुशल मंगल है ।
चटुकारिता चौमुखी है ।
मनुष्य बहुमुखी है ।
सच लिखना दायित्व है ।
सहमा सा साहित्य है ।
सम्मान बिकता है ।
सृजन सिसकता है ।
स्मृतियों के दंश हैं ।
भविष्य के सुनहरे अंश हैं ।
नववर्ष का आगमन है ।
संभावनाओं का आचमन है ।
सत्य के संकेत हैं ।
सभी श्याम श्वेत हैं ।
सुरभित व्यक्तित्व हैं ।
सुरक्षित अस्तित्व हैं ।
सुसंस्कृत व्यवहार हैं ।
संपन्न परिवार हैं ।
मन कृत संकल्प हैं ।
खुशियों के विकल्प हैं ।
सच के सिद्धान्त हैं ।
अस्तित्व सीमांत हैं ।
गुड़ियों के खिलौने हैं ।
बचपन सलौने हैं ।
शिक्षा का अधिकार है ।
बढ़ते व्यापार हैं।
सांझी सी साँझ है ।
प्रेम की झांझ है ।
सीमा पर वीर हैं ।
बाँकुरे रणधीर हैं ।
शत्रु हैरान है ।
झूठ परेशान है ।
साहित्य समृद्ध है ।
सत्य वचनबद्ध है ।
शब्दों के अर्थ हैं ।
शंकाएँ व्यर्थ हैं ।
प्रगति के सोपान हैं ।
लक्ष्यभेद विमान हैं ।
नवीनताओं का सृजन है ।
अहंकारों का विसर्जन है ।
व्यवस्थित अवधारणाएं हैं ।
असीमित संकल्पनाएँ हैं ।

 


सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं हैं।

 

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