Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पानी बचाना चाहिए

 

फेंका बहुत पानी अब उसको बचाना चाहिए।
सूखे जर्द पौधों को अब जवानी चाहिए।
वर्षा जल के संग्रहण का अब कोई उपाय करो।
प्यासी सुर्ख धरती को अब रवानी चाहिए।
लगाओ पेड़ पौधे अब हज़ारों की संख्या में।
बादलों को अब मचल कर बरसना चाहिए।
समय का बोझ ढोती शहर की सिसकती नदी है।
इस बरस अब बाढ़ में इसको उफनना चाहिए।
न बर्बाद करो कीमती पानी को सड़कों पर।
पानी बचाने की अब एक आदत होनी चाहिए।
रास्तों पर यदि पानी बहाते लोग मिलें।
प्यार से पुचकार कर उन्हें समझाना चाहिए।
"पानी गए न ऊबरे मोती मानुष चून "
हर जुबां पर आज ये कहावत होनी चाहिए।

 

 

सुशील कुमार शर्मा

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