Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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परमार्थ में सदा शांति है

 

शंकर छन्द
26 मात्रा
16,10 पर यति
चरणांत गुरु लघु
क्रमागत चरण तुकांत

 

परमार्थ में सदा शांति है,
प्रेम अविचल पंथ।
अंतरात्मा के पथ पर चलो,
ज्ञान विवेक ग्रंथ।

 


जीवन में करते सत्कार्य,
भविष्य का निर्माण।
मानव से जो देव बनते,
अंत मोक्ष प्रयाण।

 

 

त्याग और बलिदान विराजत,
जिनके मन विवेक।
प्रभु की कृपा बरसती हरदम,
सुख साधन अनेक।

 

 

दीप्तिमान एक तत्व भगवन,
अनेक रखे नाम।
शुद्ध तेजस्वी आनंदमय,
मन में है विश्राम।

 

 

भारतीय संस्कृति के पिता,
वेद आदि अनंत।
तत्व ज्ञान आध्यात्म संग,
ज्ञान रूप दिगंत।

 

 

सुशील कुमार शर्मा

 

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