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प्रकृति का सानिध्य

 

सुशील शर्मा

 

प्रकृति नियम से सब चलें
रखें स्वच्छ परिवेश।
तन मन धन और बुद्धि से
दें सदाचार सन्देश।

 

सभी प्राणियों से रखें
सदा शुद्ध व्यवहार।
प्राकृतिक नियमों में ढलें
सात्विक हो आचार।

 

स्वच्छ वायु जल व्रत नियम
रखें सदाचार का मान।
सात्विक भोजन पोष कर।
करें पुण्य के काम।

 

धन जाए तो कष्ट हो
मन जाए तो मित्र।
मृत्यु सम तब जानिए।
जब गिरे हमारा चरित्र।

 

वर्तमान परिवेश में
प्रकृति हो रही दूर।
तन मन विकृत हो रहा
कष्ट मिले भरपूर।

 

प्रातःकाल जल्दी उठें
करें जो व्यायाम।
पीड़ा से मुक्ति मिले
जो करते प्रायाणाम।

 

प्रकृति के सानिध्य में
गर मनुष्य का वास।
तन मन सब सुन्दर बने।
महक उठे आवास।

 

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