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राष्ट्र हित में

 

सुशील शर्मा

 

 

भारत की प्रगति में मेरा भी योगदान हो।
मेरे शुद्ध आचरण से राष्ट्र का उत्थान हो।
सत्य का संसार मेरे उर बसे।
न्याय का आधार मन को कसे।
लोभ लालच से ये मन दूर हो।
त्याग और बलिदान भरपूर हो।
संघर्ष के पथ पर चलूँ अविराम।
राष्ट्र हित में कहाँ है विश्राम ?
प्रगति पथ पर निरंतर अग्रसर।
दृढ़संकल्प से खुद को बांधकर।
सहिष्णुता और समन्वय आधार हो।
सर्व धर्म समभाव का विचार हो।
जीवन मूल्यों से विहित समाज हो।
हर क्षेत्र में नवसृजन का आगाज हो।
नवाचार और स्वदेशी का प्रचार हो।
देशमूलक प्रत्येक संस्कार हो।
शिक्षा और स्वास्थ्य सबको मिले।
हर नागरिक फूल जैसा खिले।
वृद्धों और नारियों का सम्मान हो।
राष्ट्र भाषा का जहाँ न अपमान हो।
चारों तरफ स्वच्छता का सन्देश हो।
स्वर्ग से सुन्दर ये भारत देश हो।
मेरा जीवन त्याग का प्रतिमान हो।
राष्ट्रहित में ये शरीर बलिदान हो।

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