Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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शब्द

 

सुशील शर्मा

 

 शब्द है ब्रम्ह
अनंत अनहद
गूंजे आकाश।

 चीखते शब्द
मरती संवेदना
आहत मन।

 ढूंढ़ते तुम्हे
शब्द अनवरत
पन्नों के बीच

 शब्दों के रंग
मन का कैनवास
तुम्हारा चित्र।

 बाराती यादें
शब्दों के शामियाने
भाव भाँवरें।

 शब्दों का नृत्य
थिरकती कविता
नाद संगीत।

 शब्दों का दर्द
वेदना की चेतना
चीखी कविता।

 शब्दों के सांचे
भाषा का व्याकरण
सजा साहित्य।

 शब्द समर्थ
ढूंढते हम व्यर्थ
उनके अर्थ।

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