सुशील शर्मा
सच को सच जैसा कहना होगा।
या फिर मुर्दों के संग रहना होगा।
जीवन को संघर्षों की सूली पर टाँगों।
या सुख के लिए पराधीन रहना होगा।
चल पड़ो साधना के कंटक पथ पर।
या जीवन मृत्यु के चक्रों में जीना होगा।
काट पहाड़ नए पथ का निर्माण करो।
या मीलों लंबा पैदल चलना होगा।
सहमे सत्य को वेदना से मुक्त करो।
या झूठ के बाज़ारों में बिकना होगा।
लोकतंत्र के खुदाओं का इंसाफ करो।
या प्रजातंत्र को सलीबों पर चढ़ना होगा।
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY