सुशील शर्मा
सहमे शब्द
दरिंदों का दमन
उड़े परिंदे
बरगद वीरान
घोंसले बियावान
कातर लोग
क़त्ल होते सपने
तड़फे शब्द
दर्द की सरहदें
चीखती अनहदें।
रोती उत्तरा
अभिमन्यु का शव
कौन है दोषी
कौरवों का अन्याय
पांडवों की मूर्खता।
मासूम सच
महजबी गिरोह
इंतजार में
कुछ तेरे कातिल
कुछ मेरे कातिल।
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