1. हे पितृपक्ष
भोगवादी समाज
पितर कौन।
2. श्राद्ध का पाख
याद करो पूर्वज
श्रद्धा है मूल।
3. ब्राहम्ण भोज
स्वाद मय भोजन
पंडित तुष्ट।
4. सन्तुष्ट पितृ
श्राद्ध श्रद्धा पूर्वक
मिले सौभाग्य।
5. मरों का दान
पहुंचा उन तक
श्रद्धा पहुंची।
6. श्राद्ध किसका
अंदर रक्त जिसका
ऋण उसका।
7. दें जलांजलि
कृतज्ञ भावनाएँ
पायें आशीष।
8. जरुरी नहीं
सबको भोजन दें
पौधा रोप दें।
9. बगैर स्वार्थ
नहीं दक्षिणा दान
गिरते हम।
10. तर्पण मूल
चरित्रों से प्रेरणा
आत्म कृतज्ञ।
11. श्राद्ध उचित
श्रद्धा भाव से दान
शास्त्र सम्मत।
सुशील कुमार शर्मा
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