Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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स्पर्श छुअन

 
सुशील शर्मा शिशु का स्पर्श ईश्वर ने रखा हो काँधे पे हाथ। अपनापन मुस्कान की छुअन छलके मन आंसू सा गीला स्मृतियों भरा स्पर्श बहता गया। अव्यक्त मन मधुर सी छुअन सहरा तन। ओंठ से बहा बारिश सा नहाता खामोश स्पर्श। स्पर्श से लिखी प्रणय मनुहार बसंती प्यार। संदली सांसे मोम सी पिघलती रोशन रातें। स्वप्नीली साँझ अधरों की छुअन गुलाबी गाल। स्नेह का स्पर्श प्रणय निमंत्रण जन्मों का साथ। धरती देह आसमान का स्पर्श गिरती बूँदें। चरण स्पर्श गुरु का आशीर्वाद बुद्धि विकास।
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