वास्तव में स्टार्ट-अप मतलब एक नवोन्मेषी विचार। अर्थात एक नव विचार को लेकर, छोटी पूँजी और छोटे इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ शुरू की गई कम्पनी “स्टार्ट-अप” कहलाती है|
आज की तारिख में भारत स्टार्टअप के ममाले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खिलाड़ी बन कर उभरा है। नैसकॉम की साल 2015 की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका और ब्रिटेन के बाद भारत स्टार्टअप के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर पहुंच चुका है। स्टार्टअप से देश में निवेश भी खूब आ रहा है। साल 2014 में 179 स्टार्टअप में 14500 करोड़ का निवेश हुआ जबकि 2015 में 400 स्टार्टअप में करीब 32 हजार करोड़ का निवेश हुआ है। यानि हर हफ्ते करीब 625 करोड़ रुपए। यही कारण है कि सरकार इसे और गति देने के मूड में है।देश में बढ़ते स्टार्टअप कंपनियों के बावजूद हमारे यहाँ कोई स्टार्टअप योजना नहीं थी। अब स्टार्टअप इंडिया अभियान के बाद से हर वह कंपनी जो 5 साल के अन्दर शुरू हुई है उसे स्टार्टअप की श्रेणी में माना जाएगा। इसके लिए कंपनी का हेडक्वार्टर भारत में होना चाहिये।
स्टार्ट अप योजना के कुछ प्रमुख सुविधाएँ -10 हजार करोड़ रुपये का फंड बनाया जाएगा, इसमें हर साल 2500 करोड़ रुपये का फंड स्टार्ट-अप्स को दिए जाएंगे
1- एंटरप्रेन्योर के नेटवर्क को बनाया जाएगा, स्टार्ट-अप को सीड कैपिटल देने के साथ कई अन्य- सुविधाएं।
2-चार साल तक 500 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का क्रेडिट गारंटी फंड बनाया जाएगा।
3- इंटेलेक्चुअल प्रापर्टी के लिए कानूनी मदद।
4- सार्वजनिक और सरकारी खरीद में स्टार्ट-अप को छूट मिलेगी।
5- स्टार्ट-अप के लिए एग्जिट की भी व्यवस्था।
6- शेयर मार्केट वैल्यू से ऊपर के इन्वेेस्टामेंट पर टैक्स में छूट दी जाएगी।
7- छोटे फॉर्म के जरिए ई-रजिस्ट्रेशन।
8- अटल इनोवेशन मिशन की शुरुआत, इसके तहत स्टारर्ट-अप को कंपटेटिव बनाना।
9- पेटेंट फीस में 80 फीसदी की कटौती।
10- सेल्फ सर्टिफिकेट आधारित कमप्लायंस की व्यवस्था।
11- स्टार्ट-अप से प्रॉफिट पर तीन साल तक टैक्स नहीं।
12- तीन साल तक कोई इंस्पेक्शन नहीं।
13- स्टार्ट-अप इंडिया हब के तहत सिंगल प्वाटइंट ऑफ कांट्रेक्ट।
14- प्रमुख शहरों में सलाह के लिए निशुल्क व्यवस्था।
15- 35 नए न्यूवर्कबेशन सेंटर खुलेंगे।
16- अपनी प्रॉपर्टी को बेच कर स्टार्ट अप शुरू करने पर कैपिटल गेन टैक्स की छूट दी जाएगी।
17- बच्चों में इनोवेशन बढ़ाने के लिए इनोवेशन कोर प्रोग्राम की होगी शुरुआत।
18- 5 लाख स्कूलों के 10 लाख बच्चों की पहचान की जाएगी जो इनोवेशन को आगे बढ़ा सकें।
19- हैंड होल्डिंग की व्यवस्था की जाएगी।
20- स्टार्ट-अप के लिए वेब पोर्टल और मोबाइल एप।
स्टार्ट अप रोजगार ही नहीं नवाचार है -भारत में रोजाना तीन से चार स्टार्ट-अप जन्म ले रहे हैं. हालांकि 2015 का साल स्टार्ट-अप के लिए कई मायने में अहम रहा, जैसा कि नैस्कॉम के आंकड़े दिखाते हैं. जानकारों का कहना है कि विकसित जगत की संपन्नता में स्टार्ट-अप का बड़ा योगदान रहा है क्योंकि यह सामूहिक रूप से मिलकर रोजगार पैदा करने के अवसरों को जन्म देते हैं. जनगणना के आंकड़ों की मानें तो भारत में 2011 तक पिछले दशक में बेरोजगारी की दर 6.8 से बढ़कर 9.6 फीसदी पर पहुंच गई और उत्पादन क्षेत्र के सुस्त पडऩे से परंपरागत क्षेत्रों में नए अवसर खुलने बंद हो गए. इस अर्थ में यह एक अहम मौका है. बीपीओ स्टार्ट-अप के प्रणेता और आउटसोर्सिंग फर्म क्वात्रो के सीएमडी रमन रॉय कहते हैं, ''भारत फिलहाल स्टार्ट-अप को मूल्य निर्माण के तौर पर देख रहा है लेकिन यह बदलेगा. विकसित जगत में स्टार्ट-अप ने ही मध्यवर्ग को पैदा किया है और रोजगारों में इजाफा किया है.'' उम्मीद के मुताबिक भारत 2020 तक स्टार्ट-अप कंपनियों में ढाई लाख रोजगारों को जन्म देगा. फिलहाल ऐसी कंपनियों में 80,000 लोग काम कर रहे हैं. सबसे ज्यादा जिन स्टार्ट-अप की चर्चा हुई है वे ई-कॉमर्स के क्षेत्र में आए हैं, जिसके बाद फूड डिलीवरी, फैशन और खुदरा व्यापार का क्षेत्र रहा है. शिक्षा, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, मीडिया और मनोरंजन समेत ब्रिक ऐंड मोर्टार के क्षेत्र में भी कई कामयाब कारोबार खुले हैं।
स्टार्ट अप स्वरोज़गार में मदद करते हैं-एक खास तरह का स्टार्ट अप जिसे एग्रीगेटर के नाम से जाना जाता है, सकारात्मक रुप से स्वनियोजित, अर्धकुशल एवं प्रशिक्षित कर्मचारियों की संभावनाओं को प्रभावित कर रहा है।अनिल नायर , जेनीजी के संस्थापक , पुणे में सेवा प्रदाताओं की एक एग्रीगेटर, ने कहा एग्रीगेटर व्यापार को बढ़ाने में मदद करता है।जेनीजी 20 से अधिक लोगों को काम पर नहीं रखता है। हालांकि इसके सहयोगी सेवा प्रदाता इवेंट मैनेजमेंट, घर के रखरखाव, वित्त, मूवर्स एंड पैकर्स, निर्माण क्षेत्र में लिए पेशेवर नियुक्त करते हैं। अंतिम गणना में यह आंकड़े 100 से अधिक दर्ज की गई थी।और जेनीजी घर सेवाओं के क्षेत्र में आरभं की गई कई स्टार्ट-अप में से एक है – टास्कबॉब, टाइमसेवर्स, ज़िम्मबर, डोरमिंट, अरबनक्लैप, वर्कहॉर्स, हाउसजॉय एवं अन्य – हज़ारों प्रदाताओं की सेवाओं का समग्र देते हैं।लैब्रेट लोगों को भरोसेमंद डॉक्टर को खोजने एवं उनके साथ संवाद कराने में मदद करता है।
दो वर्षों में लैब्रेट में कर्मचारियों की संख्या दो से 50 पहुंच गई है। इस टीम के अलावा, लैब्रेट 80,000 से अधिक डॉक्टरों की सेवाओं के एकत्र करता है।
देश को जकड़े हुए स्टार्ट-अप के बुखार के पीछे खन्ना जैसे युवा कई कारण गिनवाते हैं. पहला कारण यह है कि बड़ी कंपनियों में करियर को बढऩे में काफी वक्त लगता है. दूसरा, प्रौद्योगिकी आज रोजमर्रा के जीवन में प्रवेश कर चुकी है इसलिए स्टार्ट-अप काफी तेजी और सक्षमता से ऐसे काम कर सकते हैं जैसा पारंपरिक फर्में नहीं कर सकतीं, इसलिए यहां एक कारेाबारी अवसर है. तीसरा कारण है काम करते हुए नई चीजें सीखना और आपके उत्पाद इस्तेमाल करने वाले हजारों ग्राहकों का उत्साह. खन्ना बताते हैं कि लॉन्च करने के शुरुआती दो हक्रतों में ही इंस्टागो के 1,000 डाउनलोड हुए. वे बताते हैं कि उनकी पिछली कंपनी से 2015 में छह और लोग अपना धंधा खोलने के लिए नौकरी छोड़कर चले गए थे.
स्टार्ट अप द्वारा काम पर रखे जाने वाले प्रमुख प्रौद्योगिकी संस्थानों और प्रबंधन स्कूलों के बेहतरीन लोग होते हैं। स्टार्ट अप एमएसएमई से काफी आगे है। कईयों का मानना है कि कर्मचारियों को कौशल विकास के लिए अवसर प्रदान करने स्टार्ट अप कई बड़ी कंपनियों से भी आगे हैं। प्रतिभा को आकर्षित करने एवं बनाए रखने के लिए कुछ स्टार्ट अप कंपनियां द्योग के औसत वेतन से भी बेहतर भुगतान करती हैं
भारत में इतने कानून हैं कि कोई भी कारोबार शुरू करना आसान नहीं होता है। कारोबार शुरू करने से पहले कई दर्जन मंजूरियां लेनी होती हैं। कई तरह के लाइसेंस लेने होते हैं और कई तरह का शुल्क जमा करना होता है। सरकार ने इस योजना में कहा है कि नया उद्यम शुरू करने वालों की पहले तीन साल तक किसी किस्म की जांच नहीं होगी और उन्हें आयकर से भी छूट मिलेगी। सरकार ने इसके लिए दस हजार करोड़ रुपए का फंड भी बनाया है, जिससे नए उद्यमियों की मदद की जाएगी। लेकिन इनमें कई ऐसी चीजें हैं, जिनकी परीक्षा समय के साथ ही होगी। मिसाल के तौर पर दिल्ली या किसी भी दूसरे महानगर में ढेरों कारोबार हैं, जिन्हें रिहाइशी इलाकों में नहीं किया जा सकता है।
स्टार्टअप इंडिया अभियान में सरकार को बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी। साथ ही इसका पूरा लाभ सभी को मिले इसके लिए भी कई कारगर कदम उठाने होंगे। इस योजना का नाजायज लाभ उठाने से बड़ी कंपनियों को रोकना होगा। इस अभियान का और अच्छे से विश्लेषण करना होगा और इसके नियमों को सही से परिभाषित करना पड़ेगा।
सुशील कुमार शर्मा
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